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बुधवार, 31 अक्तूबर 2007

ग्यारह हजार साल बाद मनुष्य की दो नस्लें

प्रकृति से छेड़छाड़ के अंतत: भयावह नतीजे सामने आएंगे. कुछ हद तक यह शुरू भी हो चुका है लेकिन मानव को इसकी चिंता नहीं है. हर रोज ऐसे समाचार सामने आ रहे हैं लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ रहा. यह बेहद चिंता का विषय है. एक ताजातरीन खोज के बारे में जानकारी देता यह समाचार पढ़ना काफी रोचक है. आप भी पढ़ें और कल्‍पना करें कि क्‍या होगा तब, जब यह कल्‍पना सच्‍चाई ? यह मानव के कथित विकास की गाथा है या उसके विनाश की?

विश्व प्रसिद्ध लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स की मानें तो अगले 11 हजार वर्षों में मानव जाति दो अलग-अलग नस्लों में बँट जाएगी. एक नस्ल आकर्षक, बुद्धिमान और शासन करने वाली होगी, जबकि दूसरी मूर्ख, बदसूरत और दिखने में पिशाचों-सी होगी. यह निष्कर्ष लंबे शोध के बाद स्कूल के अग्रणी विकासवादी वैज्ञानिक डॉ. ओलिवर करी ने निकाला है. डॉ. करी के अनुसार मानव जाति शारीरिक तौर पर सन 3000 तक चरम पर पहुँच जाएगी. उसके बाद उसका पतन होना शुरू हो जाएगा. उनके अनुसार जब मानव शारीरिक तौर पर अपने चरम पर होगा तब उसकी औसत लंबाई 6 से 7 फुट तक होगी तथा उसका औसत जीवन भी 120 वर्षों तक का होगा.

यहाँ पुरुषों के लिए प्रसारित होने वाले सेटेलाइट चैनल 'ब्रॉवो' को एक रिपोर्ट में डॉ. करी ने कहा कि उस समय मानव की शारीरिक क्षमता कई स्तरों पर आँकी जाएगी जिसमें उसके स्वास्थ्य के साथ-साथ पुरुषों और महिलाओं की उत्पादकता और योग्य साथी की तलाश मुख्य पैमाना होगी. उस समय के पुरुषों की आवाज गहरी और ज्ञानेन्द्रिय बड़ी होगी. इसी तरह महिलाओं के सिर के बाल चमकीले होंगे, त्वचा केश रहित होगी तथा आँखें बड़ी होंगी. आज से 10 हजार साल बाद जब मानव सभ्यता अपने चरम पर होगी और उसके पास तकनीक भी विश्वसनीय होगी तब मानव दिखने में भी बिलकुल भिन्न हो जाएगा.

डॉ. करी के अनुसार वह स्थिति ठीक वैसी ही होगी जैसी मशहूर साइंस फिक्शन लेखक एचजी वैल्स के उपन्यास 'द टाइम मशीन' में बताई गई है. उस समय हम दवाइयाँ खा-खाकर अपनी प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर चुके होंगे और शक्ल में बच्चों जैसे दिखेंगे. अगली शताब्दी तक ही हम तकनीक के मामले में इतने आगे बढ़ चुके होंगे कि सब कुछ विज्ञान को आधार बनाकर किया जाएगा. हमारी प्राकृतिक चीजें धीरे-धीरे नष्ट होती जाएँगी. उसके बाद जमाना 'हैव' और 'हैव नॉट' का आएगा. यानी कुछ लोगों के पास बहुत कुछ होगा तो कुछ के पास कुछ भी नहीं.

सोचें: तब हम यानि भारतवासी किस वर्ग में शामिल होंगे ... ''हैव'' वालों में या ''हैव नॉट'' वालों में?

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