दक्षिण यार्कशायर के कैटक्लिफ की जीरॉस कंपनी ने इस मशीन को बनाया है। इस ग्रीन टेक्नोलाजी के इस्तेमाल से अरबों लीटर पानी की बचत की जा सकेगी। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बिल वेस्टवाटर का कहना है कि प्रौद्योगिकी के फायदे हमें मिल रहे हैं। यह कपड़े धोने की नई तकनीक बनेगी।
इस तकनीक को 30 साल की मेहनत के बाद लीड्स यूनिवर्सिटी में केमेस्ट्री टेक्सटाइल प्रोफेसर स्टीफन बरकिनशॉ ने विकसित किया है। जीरॉस को इससे सालाना 50 अरब पाउंड (करीब साढ़े चार खरब रुपये) का व्यापार होने की संभावना जताई है।
कैलीफार्निया की सिलिकान वैली में शीर्ष कंपनियों ने उसे आमंत्रित किया है। वेस्टवाटर कहते हैं कि कपड़ा धोने की नई प्रणाली को पेश करने का यह बेहतर समय है। यह संभावित भागीदारों के साथ तकनीक के प्रदर्शन का प्रभावशाली स्थान है।
जीरॉस का उद्देश्य साल के आखिर तक इस उत्पाद को बाजार में उतारने का है। सबसे पहले होटलों और लांड्री के इस्तेमाल के उद्देश्य से इसे बाजार में उतारा जाएगा। वेस्टवाटर न कहा तकनीक के सिद्ध हो जाने पर हम घरेलू मशीन का निर्माण कर सकेंगे।
जीरॉस का उद्देश्य साल के आखिर तक इस उत्पाद को बाजार में उतारने का है। सबसे पहले होटलों और लांड्री के इस्तेमाल के उद्देश्य से इसे बाजार में उतारा जाएगा। वेस्टवाटर न कहा तकनीक के सिद्ध हो जाने पर हम घरेलू मशीन का निर्माण कर सकेंगे।
सोर्स - द टेलीग्राफ
5 टिप्पणियां :
जानकारी का आभार ।
बहुत अच्छी जानकारी धन्यवाद्
तकनीक तो काबिले-तारिफ़ है, जल्द से जल्द बाजार में आये ताकि पानी की बचत हो सकें
इस बढिया जानकारी के लिये आभार
अरे वाह । भारत में तो ये खूब बिकेगी ।
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