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शनिवार, 20 सितंबर 2008

प्रवासी जल पक्षियों की प्रजातियां खत्‍म होने के करीब

मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के साथ छेड़छाड़ और उनके बेहिसाब दोहन का सिलसिला जारी है। बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं के रूप में इसके नतीजे हम भुगत भी रहे हैं। इंसानों की गलतियों का खामियाजा अब पशु-पक्षियों को भी भुगतना पड़ रहा है।

अफ्रीका और यूरेशिया में भ्रमण करने वाले प्रवासी जल पक्षियों की जनसंख्या में 40 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्लेमिंगो, क्रेन और राजहंस सरीखे पक्षियों की जनसंख्या में कमी का मुख्य कारण इनके आवास का दोहन बताया गया है।


अफ्रीकन-यूरेशियन वाटरबर्ड एग्रीमेंट [एईडब्ल्यूए] के सचिव बर्ट लेंटन का कहना है कि रिपोर्ट से साफ जाहिर होता है कि प्रवासी जल पक्षियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करना जरूरी हो गया है। लेंटन के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण प्रवासी जल पक्षियों की कई प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं।

दक्षिणी आल्‍प्‍स की बर्फ में गंभीर कमी

दक्षिणी आल्प्स के ग्लेशियरों में अप्रैल 2007 के बाद से अब तक 2.2 अरब टन बर्फ पिघल चुकी है। जब से ग्लेशियरों की निगरानी शुरू हुई है इसके बाद से यह सबसे अधिक वार्षिक नुकसान है। पिछले 32 वर्षो से न्यूजीलैंड स्थित नेशनल इंस्टीटयूट आफ वाटर एंड एटमॉस्फियरिक रिसर्च [एनआईडब्ल्यू गर्मियों के अंत में एक छोटे विमान की सहायता से दक्षिणी आल्पस के 50 ग्लेश्यिरों का सर्वेक्षण कर रहा है। एनआईडब्ल्यूए के मुख्य वैज्ञानिक जिम सेलिंगर ने कहा कि सर्वेक्षण में लिए गए चित्रों से पता चलता है कि ग्लेशियरों ने पिछले वर्षो की तुलना में इस बार काफी अधिक बर्फ गंवा दी है।

साइंसअल्टर डॉट कॉम वेबसाइट के अनुसार यह न्यूजीलैंड के पास ला नीनो परिस्थितियों, सामान्य से अधिक तापमान और कम बर्फ गिरने का परिणाम है। सेलिंगर ने बताया कि इस वर्ष बर्फ रेखा 130 मीटर ऊपर खिसक गई है। उन्होंने कहा कि यह विश्व में ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने की घटना के अनुरूप है। स्विट्जरलैंड स्थित विश्व ग्लेशियर मानीटरिंग सर्विस के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1980 के बाद से बर्फ की मोटाई में आधा मीटर प्रतिवर्ष की कमी हो रही है।

5 टिप्‍पणियां :

Hari Joshi ने कहा…

अगर प्रगति के नाम पर प्रकृति से हम यूं ही खेलते रहे तो एक दिन हम भी न रहेंगे।

Arvind Mishra ने कहा…

पर्यावरण के तेज परिवर्तन इन स्थितियों को तेजी से लाते जायेंगे -इधर ध्यानाकर्षण के लिए आभार !

Udan Tashtari ने कहा…

विचारणीय-चिन्ताजनक.

वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.

डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!

पर्यानाद ने कहा…

स्पैम रोकने के लिए वर्ड वेरिफिकेशन लगा रखा था समीर जी. हटा दिया है. टिप्पणी के लिए आप सब का शुक्रिया.

Asha Joglekar ने कहा…

सामान्य लोग इसमें कैसे हिस्सा ले सकते हैं ?

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पर्यानाद् आपको कैसा लगा अवश्‍य बताएं. आपके सुझावों का स्‍वागत है. धन्‍यवाद्