उन्हें यह भ्रम है कि पेड़ लगाए जाते हैं और मैं कोई पर्यावरण बचाओ आंदोलन चलाने वाला व्यक्ति हूं। अक्सर कहा जाता है "वृक्षारोपण कार्यक्रम" ....
मुझे लगता है कि यह पौधरोपण कार्यक्रम है। पौधा लगाया जाता है न कि पेड़।
खैर... मैंने विनम्रता से मना कर दिया कि मैं उनके "पेड़ लगाने" के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकता क्योंकि वे गांरटी नहीं दे पाए कि लगाए गए पौधों की रक्षा की जाएगी और वे पेड़ बनेंगे। मैं अपने लगाए पौधों को पेड़ बनाने के लिए उनकी रक्षा भी करता हूं।
मैंने उनसे पूछा कि वो इस बारे में क्या कर रहे हैं? तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। उल्टे उन्होंने एक सवाल पूछा, मेरे अकेले के करने से क्या होगा?
पांच जून एक भद्दा मजाक बन चुका है। 37 साल से इस दिन कितने झूठ बोले जाते हैं दिखावे किए जाते हैं लेकिन सच्चाई बहुत कड़वी है। मैं कुछ भयावह से आंकड़े पेश कर सकता हूं पर कोई फायदा नहीं है। सब जानते हैं।
उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं क्या कर रहा हूं ... बताने की बाध्यता नहीं थी लेकिन मैंने उन्हें बताया कि बस इतना कर रहा हूं ...
और यह सब मैं किसी पर्यावरण आंदोलन को चलाने के लिए नहीं करता बल्िक इसलिए कर रहा हूं क्यों कि यह मेरी जिम्मेदारी है। इतना तो करना ही पड़ेगा... पर्यावरण के लिए नहीं अपनी खातिर।
उन्होंने आज पेड़ लगाए हैं, कल अखबार में उनका फोटो छपेगा।
यानि पर्यावरण को उन्होंने बचा लिया।
मुझे लगता है कि यह पौधरोपण कार्यक्रम है। पौधा लगाया जाता है न कि पेड़।
खैर... मैंने विनम्रता से मना कर दिया कि मैं उनके "पेड़ लगाने" के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकता क्योंकि वे गांरटी नहीं दे पाए कि लगाए गए पौधों की रक्षा की जाएगी और वे पेड़ बनेंगे। मैं अपने लगाए पौधों को पेड़ बनाने के लिए उनकी रक्षा भी करता हूं।
मैंने उनसे पूछा कि वो इस बारे में क्या कर रहे हैं? तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। उल्टे उन्होंने एक सवाल पूछा, मेरे अकेले के करने से क्या होगा?
पांच जून एक भद्दा मजाक बन चुका है। 37 साल से इस दिन कितने झूठ बोले जाते हैं दिखावे किए जाते हैं लेकिन सच्चाई बहुत कड़वी है। मैं कुछ भयावह से आंकड़े पेश कर सकता हूं पर कोई फायदा नहीं है। सब जानते हैं।
उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं क्या कर रहा हूं ... बताने की बाध्यता नहीं थी लेकिन मैंने उन्हें बताया कि बस इतना कर रहा हूं ...
- पॉलीथिन बैग्स का इस्तेमाल आमतौर पर नहीं करता।
- ब्रश और शेव करते वक्त वाश बेसिन का नल चालू नहीं रखता।
- कमरे से बाहर जाते समय बिजली का लट्टू और पंखे को चालू नहीं छोड़ता।
- अपने दोपहिया वाहन की नियमित जांच करवा कर उसे प्रदूषणमुक्त रखने का प्रयास करता हूं।
- आज तक जितने पौधे लगाए उन्हें जीवित रखने की जिम्मेदारी भी निभाता हूं।
और यह सब मैं किसी पर्यावरण आंदोलन को चलाने के लिए नहीं करता बल्िक इसलिए कर रहा हूं क्यों कि यह मेरी जिम्मेदारी है। इतना तो करना ही पड़ेगा... पर्यावरण के लिए नहीं अपनी खातिर।
उन्होंने आज पेड़ लगाए हैं, कल अखबार में उनका फोटो छपेगा।
यानि पर्यावरण को उन्होंने बचा लिया।
4 टिप्पणियां :
आपकी बात से सहमत। जितना आप कर रहे हैं उतना सब करें तो बहुत हो जाएगा।
घुघूती बासूती
इनसे सीख लेने की आवश्यकता है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अकेला दीपक धीरे धीरे एक बड़े भवन में भी उजाला फैला देता है... अगर हम अकेले ही यह काम करते रहे तो बहुत कुछ हो सकता है...पर्यावरण दिवस पर हमारा एक छोटा सा पौधा भी हमारे साथ सफर करता रहा,उसकी थकान दूर करने के लिए आज विशेष खाद डाली है... आपको नियमित पढना अच्छा लगता है..
आप अनुकरणीय और प्रशंसनीय हैं । बधाई ।
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पर्यानाद् आपको कैसा लगा अवश्य बताएं. आपके सुझावों का स्वागत है. धन्यवाद्