पिछली शताब्दी के आरंभ में बाघों की आबादी करीब 40 हजार थी। अब उनमें से केवल 1411 भारत में बाकी बचे हैं। पिछले वर्ष भारत में 86 बाघों की जान गई। भारत में करीब 37 बाघ अभयारण्य हैं लेकिन इनमें से करीब 17 अब अपनी बाघों की आबादी को पूरी तरह खो चुकी हैं या खोने की कगार पर हैं।
क्या ये तथ्य भयावह नहीं लगते। बाघों की लगातार खत्म होती आबादी के कारण अब उनके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। इसलिए अब बाघों को बचाने की बात शुरू हो रही हैं। बाघों को बचाने और उनकी आबादी को बढ़ाने की कवायद शुरू हो रही है। दुनिया भर के पशु प्रेमी इस मुहिम में अपनी भूमिका निभाने को तैयार हो रहे हैं।
बाघों को बचाने की इस मुहिम का हिस्सा बनिए।
2 टिप्पणियां :
स्थितियाँ चिन्तनीय है. इस दिशा में युद्ध स्तरीय कार्यवाही आपेक्षित है.
निश्चय ही आवश्यक कदम उठायें जाने चाहिये ।
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