बाघों की घटती संख्या पर चिंता
थाईलैंड में हाल ही में तेरह एशियाई देशों की एक बैठक में बाघों की लगातार घटती संख्या पर बेहद दुख जताया गया है। बैठक के दौरान संकल्प लिया कि 2022 तक बाघों की संख्या दुगुनी हो जानी चाहिए।
हुआ हिन में हो रही इस बैठक में हिस्सा लेने वाले देशों का कहना है कि आने वाले सालों में बाघों की संख्या को बढ़ाने की ख़ास ज़रूरत है। उन्होंने वादा किया कि 2022 तक इस संख्या को 7 हज़ार तक पहुंचाया जाएगा। बाघ संरक्षण के मुद्दे पर एशिया में होने वाली यह पहली बैठक है।
थाईलैंड के प्रधानमंत्री अभिसीत वेजाजीवा इसे एक आख़िरी उम्मीद मानते हैं। वह कहते हैं कि जंगली बाघों की संख्या पहले ही बहुत कम हो चुकी है और अगर इस पर जल्द ही कोई काम नहीं किया गया तो यह आख़िरी मौका भी हाथ से चला जाएगा।
थाई प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, भारत, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम के प्रतिनिधियों से अपील की है कि बाघों की विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के लिए वे ख़ास प्रयास करें।
इसी साल सितंबर में बाघों के संरक्षण पर रूस में एक और बैठक होगी जिसमें विश्व बैंक के मुखिया रॉबर्ट ज़ोएलिक भी मौजूद होंगे। रॉबर्ट ज़ोलिक कहते हैं, "आज हम साथ आए हैं ताकि हम ये प्रण ले सकें कि आने वाले समय में बाघ सिर्फ़ चिड़ियाघरों में ही न दिखें। ग़ैरकानूनी शिकार के चलते बाघों की संख्या पूरे एशिया में लगातार घटती जा रही है।"
थाईलैंड में हो रही बैठक जून 2008 से बाघ संरक्षण के लिए चल रहे विश्व बैंक के प्रयासों का नतीजा है। माना जा रहा है कि इस लक्ष्य को पाने के लिए इन देशों को क़रीब नौ करोड़ डॉलर की ज़रूरत होगी। उधर भारत में भी बाघों की गिनती पर काम शुरू हुआ है। लेकिन इस बीच मध्यप्रदेश में पिछले 13 महीनों में 19 बाघ मरे पाए गए हैं।
डॉयचे वेले से साभार
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