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शनिवार, 8 दिसंबर 2007

रेनबो वारियर और लुई पाल्‍मर

जलवायु परिवर्तन के मसले पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में संदेश देने का जो तरीका 'रेनबो वारियर' और स्विट्जलैंड के एक यात्री ने निकाला है उससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. वैश्विक पर्यावरण आंदोलन ग्रीनपीस के ध्वजपोत 'रेनबो वारियर' ने बेनोआ बंदरगाह की गर्म-उनींदी छोटी तरंगों पर इस उम्मीद के साथ डेरा डाला कि संयुक्त राष्ट्र संघ के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के नीति निर्धारकों तक उनका संदेश पहुंच जाएगा.

चालीस डोंगियों से घिरे इस प्रसिद्ध जहाज के किनारे लगने के समय बंदरगाह पर मौजूद संचालक ने वहां प्रवेश करने की अनुमति देने में अच्छा खासा वक्त लगाया, उसने कमोबेश यही रुख जहाज के साथ चल रही मीडियाकर्मियों की नाव के साथ भी अपनाया. जहाज के साथ चल रही डोंगियों को बंदरगाह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई.

'रेनबो वारियर' भारत से इंडोनेशिया पहुंचा है. ग्रीनपीस से जुड़े गेविन एडवर्डस, जो जलवायु परिवर्तन अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं ने बताया कि पिछले महीने की शुरूआत तक यह जहाज गंगा के मुहाने पर था. वहां से गुजरते हुए कोलकाता के नजदीक थर्मल प्लांट के एक 'बायलर' के खिलाफ जहाज पर एक बैनर लगाया गया था. इस अभियान का संदेश पुराने फैशन के बल्बों की जगह सीएफएल के बल्ब लगाने की वकालत करना था. (Ban The Bulb)

वहीं, स्विट्जलैंड के एक यात्री ल्यूसर्न से लुई पाल्मर सौर ऊर्जा से चलने वाली कार के जरिए 50 हजार किलोमीटर की यात्रा कर बाली पहुंचा है. लुई ने इस वर्ष 3 जुलाई को ल्यूसर्न से अपनी यात्रा शुरू की थी. भारत होते हुए अब वह 3 से 14 दिसंबर के बीच बाली में हो रहे जलवायु परिवर्तन के लिए यहां पहुंचा है.

पाल्मर का इस सम्मेलन में भाग ले रहे प्रतिनिधियों को संदेश स्पष्ट है कि हम परंपरागत ईधन की बजाय सौर ऊर्जा का इस्तेमाल भी यातायात के लिए कर सकते है. पाल्मर का इरादा जीवाश्म ईधन के इस्तेमाल के बिना सड़क यातायात के माध्यम से पूरी दुनिया का भ्रमण करना है. फिलहाल इस गाड़ी को उन्होंने बाली इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर के सामने खड़ा किया है. इस सम्मेलन के बाद पाल्मर ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का भ्रमण करेगे.

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