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गुरुवार, 3 जुलाई 2008

एवरेस्ट को कचरा मुक्त करेगा चीन

चीन ने माउंट एवरेस्ट पर आवाजाही सीमित करने का फैसला किया है ताकि दुनिया की सबसे ऊँची चोटी को कचरे से मुक्त किया जा सके। इससे पूर्व मई में साम्यवादी नेतृत्व ने पर्वतारोहण के समय को सीमित कर इस 29035 फीट ऊँची चोटी पर पहुँचने वाले दक्षिणी मार्ग को बंद करने के लिए नेपाली सरकार को राजी कर लिया था ताकि चीन विरोधी प्रदर्शनकारी बीजिंग ओलिंपिक मशाल यात्रा में खलल न डाल सकें। इस चोटी पर हुई मशाल यात्रा यानी माउंट कोमोलांग्मा के हफ्तों बाद अब चीन की इस पर्वत से टीन केन बोतलें ऑक्सीजन के कनस्तर और पर्वतारोहियों के बस्ते जैसे सामान को हटाने के लिए विशेष दल भेजने की योजना है।

सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ के अनुसार तिब्बती पर्यावरणीय सुरक्षा एजेंसी के नेता झेंग योंग्जे ने कहा कि हमारी यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि एवरेस्ट से बहने वाली नदी का पानी साफ रहते हुए समुद्र में मिले। हमारा उद्देश्य लोगों की छेड़छाड़ से माउंट एवरेस्ट को बचाना है।


इस अभियान को वर्ष 2009 के पहले छह महीने में पूरा करने की योजना है। इसका उद्देश्य हिमालय के इस क्षेत्र की नाजुक पर्यावरणीय परिस्थिति की हिफाजत करना है। इसका एक और मकसद रोंगबक हिमखंड को पिघलने से बचाना है, जो बीते एक दशक में अपने स्थान से 490 फिट पीछे खिसक गया है।


ब्रिटेन के दि इंडिपेंडेंट अखबार के अनुसार सर एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोरगे द्वारा पहली बार विश्व की इस सबसे ऊँची चोटी पर फतह करने के बाद से हजारों पर्वतारोही यहाँ आ चुके हैं। वर्ष 2007 में चीन के उत्तरी ओर से एवरेस्ट पर 40 हजार पर्वतारोही आए। इन्होंने 120 टन कचरा क्षेत्र में छोड़ दिया। लंदन के इस अखबार का कहना है कि वर्ष 2004 में 24 स्वयंसेवियों के दल ने आठ टन कचरा हटाया था। वर्ष 2006 में एक और सफाई दल ने 1.3 टन कचरा एवरेस्ट के क्षेत्र से हटाया।

3 टिप्‍पणियां :

समयचक्र ने कहा…

महत्वपूर्ण,विचारणीय जानकारी.शुक्रिया

Udan Tashtari ने कहा…

आभार इस जानकारी के लिए.

मीनाक्षी ने कहा…

प्रकृति का चीत्कार सुनकर शायद आपका मन पिघला और मानव को चेताने फिर आ पहुँचे...जानकारी तो यह भी है कि नॉर्थ पॉल पर बर्फ न रहेगी... बच्चे परेशान हैं कि बर्फ न होगी तो नक्शे में सफेद रंग के बदले कोई और रंग इस्तेमाल करना पड़ेगा.. कौन सा... !!!!

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