पेज

रविवार, 24 फ़रवरी 2008

प्रदूषण का एक घातक असर यह भी

अमेरिकी अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार वायु प्रदूषण फेफड़ों के लिए ही नहीं बल्कि शुक्राणुओं के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है. नेशनल अकेडमी आफ साइंस की पत्रिका में प्रकाशित कनाडा में हुए इस अध्ययन के अनुसार वायु प्रदूषण से न केवल शुक्राणुओं की संख्या घटती है बल्कि संबंधित डीएनए में होने वाले बदलाव के कारण आने वाली पीढि़यों में भी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

अध्ययन के तहत कैनेडा और अमेरिका के नेशनल सेंटर फार टाक्सीकोलोजीकल रिसर्च के अनुसंधानकर्ताओं ने दस हफ्तों तक चूहों पर हैमिल्टन हार्बर इलाके की प्रदूषित हवा का प्रभाव देखा. इस दौरान उन्होंने पाया कि स्वस्थ हवा में सांस लेने वाले चूहों के मुकाबले प्रदूषण झेलने वाले चूहों के शुक्राणुओं का डीएनए 60 फीसदी तक बदल गया.

वैज्ञानिक इस बात को लेकर भी हैरान थे कि प्रदूषण दूर किए जाने के बाद भी शुक्राणुओं में डीएनए संबंधी बदलाव जारी रहे. गौरतलब है कि ये परिणाम पहले हुए एक अध्ययन की पुष्टि करते हैं, जिसके अनुसार स्वस्थ हवा में सांस लेने वाले चूहों के मुकाबले प्रदूषित वातावरण में पलने वाले चूहों के बच्चों के डीएनए में दोगुने बदलाव देखे गये.

5 टिप्‍पणियां :

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

अच्छी लगी आपकी अभिव्यक्ति !

अजित वडनेरकर ने कहा…

वाजिब चिंताएं हैं। जानकारी भी बढ़ाई। अब इन अजीबोग़रीब टिप्पणीकारों की बाबत भी बताइये। हमारे पास भी आ रहे हैं। अलबत्ता हम तो डिलीट कर रहे हैं। ये भी क्या प्रदूषण फैला रहे हैं ?

Batangad ने कहा…

जानकारी अच्छी है लेकिन, हर कोई तो प्रदूषण बढ़ाने में ही लगा है। क्या किया जाए

admin ने कहा…

जानकारी चौंकाने वाली है। शायद इसी बहाने लोग कुछ चेतें।
एक निवेदन- कृपया टिप्पणी बाक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें, इससे इरीटेशन होता है।

vikas pandey ने कहा…

काफ़ी अच्छी जानकारी दी है, शायद अब लोंग कुछ जागरूक होंगें.

एक टिप्पणी भेजें

पर्यानाद् आपको कैसा लगा अवश्‍य बताएं. आपके सुझावों का स्‍वागत है. धन्‍यवाद्