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रविवार, 24 फ़रवरी 2008

सुरा का सुरूर भी बदलेगी ग्लोबल वार्मिग


यह जानकारी सिर्फ इतना दर्शाने के लिए है कि ग्‍लोबल वार्मिंग का असर कितने व्‍यापक पैमाने पर हो रहा है. शराब स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है और इस जानकारी का उद्देश्‍य इसका महिमा मंडन करना कतई नहीं है.

ग्लोबल वार्मिग का हाल यही रहा तो वाइन के सुरूर का तर्ज ही बदल जाएगा। वाइन उत्पादक दुनिया का नक्शा पलट जाएगा। ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। 'वाइन एंड क्लाइमेट चेंज' पर दूसरे अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस को संबोधित करते हुए फ्रांस के इनरा एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख बर्नार्ड सेगुइन का कहना था-जिन अंगूरों से वाइन बनती है, उनकी फसल ग्लोबल वार्मिग के कारण दस दिन पहले ही तैयार होने लगी है। इसका खामियाजा वाइन और उसके उत्पादन पर पड़ना तय है।

इस कांग्रेस में स्पेन, फ्रांस, अमेरिका, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया सहित 36 देशों के 350 से ज्यादा विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे थे। इसका समापन हुआ शनिवार को अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति अलगोर के संबोधन से। सेगुइन का कहना था-अगर तापमान दो या तीन डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है तो हम बोर्डीआक्स, रियोजा और बरगुंडी जैसी वाइन की गुणवत्ता को बचाए रखने का उपाय कर सकते हैं। लेकिन अगर तापमान में वृद्धि पांच से छह डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गई तो वाइन उद्योग को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ जाएगा।

स्पेन के फर्नाडो जमोरा का कहना था कि अधिक गर्मी और वर्षा के अभाव में समय से पहले पक जाने पर अंगूर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। अगर अंगूर जल्दी पक जाते हैं तो उनके शर्करा ज्यादा गाढ़ा जाता है। अम्लीयता कम हो जाती है और पीएच स्तर भी बढ़ जाता है। ऐसे अंगूर से बनी वाइन में अल्कोहल का स्तर ज्यादा और अम्लीयता कम होती, नतीजतन कड़वाहट बढ़ जाती है।

1 टिप्पणी :

मीनाक्षी ने कहा…

बहुत ही नई और रोचक जानकारी है. सुरा लेने वालों का सरूर इस पोस्ट को पढ़ते ही भंग हो जाएगा.

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