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शनिवार, 23 फ़रवरी 2008

पानी गर्म होने से सब नष्‍ट होगा... अंटार्कटिक

दूसरा व अंतिम भाग। इस लेख का पहला भाग यहां पढ़ें
ग्लोबल वार्मिग अगर ऐसे ही बरकरार रही तो अंटार्कटिका का समुद्री जीवन शार्क, केकड़ों और अन्य परभक्षियों के आक्रमण से बर्बाद हो जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार जैसे-जैसे अंटार्कटिका के वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, शार्क वहां पहुंचती जा रही हैं। प्रोफेसर कैरिल विल्गा के अनुसार हालांकि शार्क की रफ्तार केकड़ों की तुलना में कुछ धीमी ही है। केकड़े तेजी से वहां की ओर बढ़ रहे हैं। वे वहां पहुंचने में सफल हुए नहीं कि वहां पाए जाने वाले जीवों को चट करना आरंभ कर देंगे। अमेरिका में रोड आइलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विल्गा उस अंतरराष्ट्रीय दल के प्रमुख हैं जो इस समय इस महाद्वीप पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन कर रहा है। अंटार्कटिका के समुद्र की तलहटी में पाए जाने वाले कई जीव-जंतु पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे अनोखे जीवों में शामिल हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार जो जातियां वहां पाई जाती हैं, उनकी आबादी के अनुपात में शार्क और अन्य बड़ी मछलियों के वहां जाने से आमूलचूल परिवर्तन आएगा। ब्रिटेन में साउथेंप्टन विश्वविद्यालय स्थित नेशनल ओशियानोग्राफी सेंटर के डाक्टर स्वेन थैट्जी कहते हैं कि अंटार्कटिका के उथले पानी में रहने वाले जंतु धरती पर अनोखे हैं क्योंकि लाखों वर्षो में उन्होंने बहुत ही ठंडे पानी में विकास किया है। अंटार्कटिका में शीत की प्रक्रिया चार करोड़ वर्ष पहले आरंभ हुई थी। इसकी वजह से सभी विशालकाय परभक्षी जैसे शार्क और केकड़े वहां से चले गए। ये इतने ठंडे वातावरण में नहीं रह सके थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि तुरंत स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयास नहीं किए गए तो दुनिया में आखिरी बचे इस मूल वातावरण को कायम रखना असंभव हो जाएगा। अल्बामा में डफिन आइलैंड सी लैबोरेटरी के डाक्टर रिचर्ड अरोनसन के मुताबिक अब हमें अंटार्कटिका में कार्रवाई करनी ही पड़ेगी।

3 टिप्‍पणियां :

CG ने कहा…

पर्यावरण संरक्षण के लिये आपके द्वारा किया जा रहा कार्य सराहनीय है. आपके लेख बहुत जानकारी भरे हैं. इन्हें लाने के लिये धन्यवाद.

मीनाक्षी ने कहा…

आपका लेख पढ़कर ओपरा विनफ्री का एक इंटरव्यू याद आ गया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत की स्त्रियों को सिर पर चार पाँच घड़े उठाकर मीलों दूर से पीने का पानी लाते देख कर उन्होंने ब्रश करते हुए खुले नल को बन्द करना शुरु कर दिया था...! शायद हम भी आपके लेख पढ़कर ऐसा ही कुछ करने लगे. शुभकामनाएँ

पर्यानाद ने कहा…

@ सिरिल आपकी टिप्‍प्‍णी के लिए धन्‍यवाद. पर्यानाद् बस एक माध्‍यम है. आपको प्रयास पसंद आया जानकर प्रसन्‍नता हुई.
@ मीनाक्षी जी करना तो हम सभी को पड़ेगा. अपने लिए ही करना है. नहीं करेंगे तो परिणाम भी झेलने होंगे.

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पर्यानाद् आपको कैसा लगा अवश्‍य बताएं. आपके सुझावों का स्‍वागत है. धन्‍यवाद्