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बुधवार, 6 फ़रवरी 2008

प्रशांत महासागर में प्लास्टिक का समुद्री कचराघर

विश्व का सबसे बड़ा महासागर प्रशांत जल्द ही प्लास्टिक महासागर में तब्दील हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई चेतावनियों के बावजूद लोग प्रशांत महासागर में कूड़ा-करकट डालना जारी रखे हुए हैं। इससे यह महासागर कूड़े के ढेर में तब्दील होता जा रहा है और पानी में गंदगी फैल रही है।

अमेरिकी संस्था अल्गेलिता मेरीन रिसर्च फाउंडेशन के अनुसंधान निदेशक मा‌र्क्स एरिकसन ने कहा कि प्रशांत महासागर में प्लास्टिक और अन्य तरह का कचरा डाले जाने से यह अपने वास्तविक स्वरूप को खो रहा है। यदि यह सिलसिला रुका नहीं तो प्रशांत महासागर प्लास्टिक महासागर के रूप में अपनी पहचान बना लेगा। यह स्थितिन केवल समुद्री जीवों, बल्कि मनुष्यों के लिए भी घातक होगी।

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि प्रशांत महासागर में प्लास्टिक का समुद्री कचराघर तैयार हो गया है। यह कचराघर हवाई से जापान तक फैलता जा रहा है। दि इंडिपेंडेंट ने एरिकसन के हवाले से लिखा है कि प्लास्टिक का यह कचराघर क्षेत्रफल के हिसाब से अमेरिका से दुगना बड़ा हो सकता है। प्रशांत महासागर में प्लास्टिक के इस समुद्री कचराघर को 1997 में लास एंजिलिस से हवाई तक हुई नौका दौड़ के दौरान खोजा गया था।

यह समुद्री कचराघर वास्तव में दो जुड़े हुए क्षेत्र हैं। ये हवाई द्वीप के दोनों ओर स्थित हैं। ये पूर्वी व पश्चिमी प्रशांत कूड़ा पट्टी के रूप में जाने जाते हैं। इनका करीब पांचवां हिस्सा जहाजों और तेल संयंत्रों से फेंका गया कूड़ा है, जबकि बाकी का कचरा जमीन से इसमें डाला गया है। पिछले 15 साल से इसपर नजर रखे कर्टिस एबिसमेयर के अनुसार यह सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही जा रहा है।

हवाई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेविड कार्ल के अनुसार प्लास्टिक समुद्री कचराघर के आकार और व्यवहार का पता लगाने के लिए और ज्यादा अनुसंधान की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अल्गेलिता की खोज पर शक करने का कोई कारण नहीं है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार प्लास्टिक के कचरे से हर साल दस लाख से अधिक समुद्री जीवों की मौत होती है। मृत पाए जाने वाले समुद्री जीवों के पेट में सिगरेट लाइटर और टूथब्रश पाए जाते हैं, क्योंकि समुद्र में डाले जाने वाले प्लास्टिक के इन अपशिष्ट पदार्थो को समुद्री जीव गलती से भोजन समझ कर खा जाते हैं।

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