पेज

सोमवार, 4 फ़रवरी 2008

कार है ग्‍लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण

वैज्ञानिकों के एक शोध के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण परिवहन साधन हैं। इनमें कार सबसे ज्यादा है। कार के बाद ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने का दूसरा कारण विमानन क्षेत्र है। परंतु पानी के जहाज का मामला बेहद जटिल है। एनवायरमेंटल न्यूज नेटवर्क की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीआईसीईआरओ (सेंटर फॉर इंटरनेशनल क्लाइमेट एंड एनवायरमेंटल रिसर्च) के पाँच शोधकर्ता ने यह शोध किया है। इन्होंने परिवहन क्षेत्र को चार उपक्षेत्रों में बाँटा। इनमें स़ड़क परिवहन, उड्डयन, रेल और जहाजरानी हैं।

शोध करने वाले दल ने प्रत्येक उपक्षेत्र का ग्लोबल वार्मिंग में योगदान को आँका। इसके लिए रेडिएटिव फोर्स (आरएफ) को देखा, जो गाड़ियों से निकलने वाले धुएँ से होता है। अध्ययन का नतीजा यह निकला कि औद्योगिकीकरण के पहले से 15 प्रतिशत आरएफ मानव निर्मित कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन से होता है। परिवहन क्षेत्र इसकी जड़ है।

ओजोन के लिए परिवहन को 30 प्रतिशत तक जिम्मेदार माना जा सकता है। अध्ययन कहता है कि ज्यादा से ज्यादा ध्यान तेजी से बन रही सड़कों की ओर भी दिया जाना चाहिए। अकेले कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन में सड़क यातायात ने दो-तिहाई योगदान दिया है। अगले सौ साल में यह स्थिति और बिगड़ती जाएगी। यानी सड़क यातायात का योगदान ग्लोबल वार्मिंग में तेजी से बढ़ेगा।

जहाँ तक पानी के जहाजों की बात है तो स्थिति और जटिल है। अभी तक यह माना जाता रहा है कि जहाजों से ज्यादा नुकसान नहीं होता। कारण जहाजों से सल्फर डायऑक्साइड और नाइट्रोजन उत्सर्जित होती है। इनका असर ठंडा होता है। चूँकि ये गैसें ज्यादा समय तक वातावरण में नहीं रहती हैं और आने वाले समय में कार्बन डायऑक्साइड इसका असर खत्म कर देगी।

2 टिप्‍पणियां :

Sanjay Tiwari ने कहा…

जमाना ही उलट गया है. जो पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है वह विकसित बन जाता है और जो उसकी रक्षा करता है वह पिछड़ा मान लिया जाता है.

Poonam Misra ने कहा…

यह कारें हमें बेकार कर रही है.ज़रूरत है कि हम ज़्यादा कारें खरीदना शान की पहचान न समझ कर अपने वातावरण से दुशमनी की निशानी समझें.ज़रूरत यह भी है कि 'पब्लिक ट्रांनसपोर्ट ' के माध्यमों को सुधारा जाए और उनमें सफ़र करने को बढावा दिया जाये .

एक टिप्पणी भेजें

पर्यानाद् आपको कैसा लगा अवश्‍य बताएं. आपके सुझावों का स्‍वागत है. धन्‍यवाद्