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शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2008

क्‍यों बदल रहा है मौसम इस तरह?

चीन के दक्षिणी इलाकों में पिछले 50 सालों के बाद पहली बार भयंकर बर्फ पड़ी है. इस तूफान के कारण लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. तूफान की चपेट में आने से 60 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बर्फीले तूफान से पर्यावरण वैज्ञानिक हैरत में पड़ गए हैं. एक ओर वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन का नतीजा मान रहे है, वहीं दूसरी तरफ उनका यह भी कहना है कि यह तूफान जलवायु परिवर्तन के कारण नहीं आया है.

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक लॉ नीना वैदर पैर्टन के इस तूफान के कारण मौसम का असामान्य व्यवहार है. इसे जलवायु परिवर्तन के कारण मानना जल्दबाजी होगा. ऐसा एक दशक बाद या कई सालों में दुनिया के किसी भी देश में हो सकता है. यह प्राकृतिक है लेकिन ऐसे बर्फीले तूफान या मौसम की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती.

इसी प्रकार उत्तरी इस्राइल के पहाड़ी इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. तेल अवीव और यरुशलम के बीच राजमार्ग को बंद कर दिया गया है. यरुशलम और पहाड़ी क्षेत्रों में कई इंच तक बर्फ जम गई है. बर्फबारी और ठंड के कारण स्कूल और दुकानों को बंद करने के आदेश दे दिए गए हैं. हालांकि यरुशलम में साल में एक बार बर्फबारी होती रही है और वैज्ञानिक इसे सामान्य घटना मान रहे हैं.

इसके बावजूद यह तथ्‍य अनदेखा नहीं किया जा सकता कि सारी दुनिया में मौसम का चक्र परिवर्तित हो रहा है और यह केवल प्राकृतिक कारणों से नहीं है. इसके पीछे बहुत हद तक मानवजनित कारण भी हैं और वैज्ञानिकों का इस मुद्दे पर एकमत नहीं होना भी कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि इन अनोखी घटनाओं के पीछे जलवायु परिवर्तन का हाथ भी है.


चित्र में सफेद चट्टानों की शक्ल में नजर आ रही बर्फ चीन के जिनान में हवांग हो नदी का हिस्सा हैं. शानडांग प्रांत के जिनान सहित करीब छह सौ किलोमीटर में निरंतर गिरते तापमान के कारण हवांग हो नदी पिछले दिनों पूरी तरह जम गई. इस नदी को यलो रिवर भी कहा जाता है.

1 टिप्पणी :

मीनाक्षी ने कहा…

इस पोस्ट का इंतज़ार था हमें.बदलते मौसम को ने तो सोचने पर विवश कर दिया है कि प्रकृति से ज़्यादा दिन खिलवाड़ किया तो खैर नहीं.. .हम तो ठंड से और डर दोनों से सिहर रहे हैं कि आने वाले दिनों में हमारा क्या हाल होने वाला है.

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