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शनिवार, 5 जनवरी 2008

इंसान से बेहतर ओरांग उटान

एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि मनुष्य का सबसे करीबी जैविक साथी ओरांग उटान न सिर्फ मनुष्य की तरह हँस सकता है, बल्कि उसने हँसना मनुष्यों से पहले सीख लिया था और वे एक-दूसरे की नकल उतारने में माहिर होते हैं. अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम द्वारा किए गए अध्ययन में बताया गया है कि हँसी मनुष्यों ने ईजाद नहीं की, बल्कि उनसे पहले ओरांग उटान ने हँसना सीख लिया था और वे एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति का प्रदर्शन भी करते थे. इतना ही नहीं उनमें एक-दूसरे की नकल करने की प्रवृत्ति भी मनुष्यों से पहले की है.

यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. मरीना डेविला रोस के मुताबिक अब तक यही माना जाता रहा था कि हँसी और सहानुभूति सबसे पहले मनुष्यों के व्यवहार का अंग बनी, लेकिन यह प्रवृत्ति ओरांग उटान में मनुष्यों से भी पहले विकसित हो गई थी और वे इसका उपयोग भी भरपूर करते आए हैं. शोधकर्ताओं की टीम ने इस शोध के परिणामों का परीक्षण करने के लिए चार अलग-अलग देशों के प्राइमेट सेंटर पर ओरांग उटान के चेहरों के अलग-अलग भावों वाली तस्वीरों को 25 ओरांग उटान के एक ग्रुप को एक-एक कर दिखाया.

उन्होंने पाया कि जब एक ओरांग उटान को किसी दूसरे ओरांग उटान की खुले मुँह वाली तस्वीर दिखाई गई तो उसे देखकर वह भी वैसा ही चेहरा बनाने लगा. इसी तरह हँसते चेहरे वाली तस्वीर देखकर वह भी हँसने लगा. रोस कहते हैं कि यह शोध जानवरों में सहानुभूति के नए पक्ष को उजागर करता है. वे कहते हैं कि इसे इस तरह से भी व्यक्त किया जा सकता है कि ओरांग एटान सिर्फ मनुष्यों की तरह बोल नहीं सकते, बाकी काम जैसे हाव-भाव व्यक्त करना आदि वे मनुष्यों से बेहतर कर सकते हैं.

1 टिप्पणी :

मीनाक्षी ने कहा…

बहुत रोचक जानकारी है.. इसी तरह रोचक और पर्यावरण से जुड़ी जानकारी देते रहिए... शुभकामनाएँ

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