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शुक्रवार, 30 नवंबर 2007

गंदगी से लाखों गरीब लोग मरते हैं हर साल

संयुक्त राष्ट्र संघ 2008 को अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता वर्ष घोषित करने जा रहा है और इसके पीछे उसका मकसद दुनिया को यह बताना है कि विश्व के 2.6 अरब लोग पानी, सफाई और शौच सुविधाओं के अभाव में कितनी दिक्कतें उठा रहे है.

यूएनओ की एक रिपोर्ट में बताया गया है, प्रतिवर्ष गंदगी के चलते 15 लाख बच्चे मर जाते हैं क्योंकि उनके पास साफ पानी, साफ-सफाई और शौचालय की सुविधा नहीं होती. महिलाओं और लड़कियों को इसकी मार अधिक झेलनी पड़ती है क्योंकि उन्हे मुंह अंधेरे उठ कर घर से बाहर शौच के लिए जाना पड़ता है.

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून और नीदरलैंड के प्रिंस विलियम एलेक्जेंडर यूएन मुख्यालय में 2008 को अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता वर्ष के रूप में मनाए जाने की घोषणा करेंगे ताकि अंतरराष्ट्रीय एजेंडे में इसे भी प्रमुखता से शामिल किया जा सके. प्रिंस एलेक्जेंडर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पानी एवं स्वच्छता को लेकर गठित किए गए सलाहकार मंडल के अध्यक्ष हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के कार्यकारी निदेशक आन वेनेमन ने कहा कि विद्यालयों में साफ पानी, स्वच्छ शौचालय और हाथ धोने की समुचित व्यवस्था होने से लड़कियां ठीक से पढ़ पाती है. जिन 2.6 अरब लोगों को ये दिक्कतें झेलनी पड़ती है, उनमें 98 करोड़ बच्चे है.

संयुक्त राष्ट्र ने इन लोगों के लिए स्थितियां बेहतर करने की मुहिम में 10 अरब डालर खर्च करने की बात कही है ताकि 2015 तक इस समस्या से जूझने वालों की संख्या आधी हो जाए. भारत में परिस्थितियां अनुमान से कहीं बदतर हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में हालात आज भी उन्नीसवीं सदी जैसे ही बने हुए हैं.

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