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सोमवार, 26 नवंबर 2007

पर्यावरण अनुकूल उत्‍पादों का बाजार बन रहा है अब

इको फ्रेंडली या पर्यावरण अनुकूल सामान की मांग भी बन रही है और उत्‍पादक इसमें रुचि लेने लगे हैं, जो कि एक अच्‍छी बात है. लेखन सामग्री बनाने वाली लग्जर ने कहा है कि वह नोएडा संयंत्र में जनवरी से पर्यावरण अनुकूल उत्पाद बनाने का काम शुरू करेगी. कंपनी ने बताया कि उसने अपनी निर्यात आय को बढ़ाने के लिए उक्त कदम उठाया है. कंपनी का मानना है कि वर्ष 2010 तक निर्यात से उसकी आय बढ़कर 100 करोड़ रुपये हो जाएगी.

लग्जर इंटरनेशनल का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की मांग बढ़ रही है. वहां यह नया विचार है. हम तेजी से बढ़ रहे इस प्रचलन को भुनाना चाहते हैं. कंपनी ने बताया कि लग्जर की 75 देशों में पहुंच है और ब्रांड 125 देशों में पंजीकृत है. पिछले वित्त वर्ष में लग्जर ने 10 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 58 करोड़ रुपये की लागत वाले लेखन उपकरणों का निर्यात किया था.

कंपनी अपने उत्पादों को खुदरा स्टोरों जैसे वाल-मार्ट, आफिस-मार्ट को भी बिक्री के लिए बेचती है. गौरतलब है कि लग्जर लाइटिंग इंस्ट्रूमेंट ने नोएडा में पिछले साल 100 फीसदी निर्यात संबंधित विनिर्माण इकाई स्थापित की थी. कंपनी ने बताया कि उक्त इकाई. 25000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैली है और इसकी विनिर्माण क्षमता लगभग 20 लाख लेखन उपकरणों की है. कंपनी ने पर्यावरण अनुकूल उत्पादों को कंपनी की अनुसंधान एवं विकास दल से विकसित किया है. इन उत्पादों को रीसाइकिल्ड सामग्री से तैयार किया जाएगा.

पर्यानाद्: यह किसी कंपनी के प्रचार के लिए लिखा गया पोस्‍ट नहीं है. यह महज एक समाचार है. मेरा उद्देश्‍य सिर्फ यह बताना है कि अब पर्यावरण की चिंता समाज में एक स्‍थाई व्‍यवहार के रूप में स्‍थापित हो रही है. क्‍या ही बेहतर हो कि जब खरीददारी करें तो अन्‍य चीजों के साथ एक बार यह जानने का प्रयास भी करें कि आपके द्वारा खरीदा जाने वाला उत्‍पाद पर्यावरण अनुकूल है या उसे क्षति पहुंचाने वाला है्. इतना सोचने में तो कोई बुराई नहीं है.

1 टिप्पणी :

36solutions ने कहा…

सुखद समाचार है पर लेखन सामाग्री निर्माता कम्‍पनियों के सस्‍ते पेनो के उपयोग से बहुधा रिफिलिंग करवाने की प्रक्रिया घट गयी है और ऐसे में पूरा पेन ठोस अपशिष्‍ठ के रूप में काफी मात्रा में शहरी कचरों में निकल रहा है, हालांकि इसकी रिसाईक्लिंग भी संभव है किन्‍तु आकार में छोटे होने के कारण छोटे और मंझोले शहरों के कचरों से इसकी छंटाई नहीं हो पा रही है । ऐसे में यह ठोस प्‍लास्टिक के रूप में ही उपस्थित रह रहा है क्‍या इससे पर्यावरण को कोई खतरा नहीं है ?

आरंभ
जूनियर कांउसिल

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