दक्षिण-पूर्वी एशिया के जंगलों में गैरकानूनी शिकार और पेड़ों के कटने की वजह से दुनिया के सबसे छोटे भालू के सामने विलुप्त होने खतरा पैदा हो गया है. ‘सन बेअर’ के नाम से पहचाने जाने वाले इस भालू का निवास स्थान भारत से इंडोनेशिया तक फैला हुआ है और इसे विश्व संरक्षण संघ द्वारा ‘असुरक्षित’ घोषित किया गया है.
जिनेवा स्थित एक समूह (आईयूसीएन) के एक भालू विशेषज्ञ रॉब स्टीनमिट्ज का कहना है, “हमारा अनुमान है कि सन बेअर की संख्या में पिछले 30 सालों में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह गिरावट इसी दर से जारी है.” आईयूसीएन भालू विशेषज्ञ समूह के सह अध्यक्ष डेव गारशेलिस का कहना है कि आंकड़ों के अनुसार फिलहाल केवल 10,000 से कुछ ज्यादा भालू ही बचे हैं.
करीब 90 से 130 पाउंड तक के वजन वाले इस भालू का शिकार इसके कड़वे हरे पित्त को हासिल करने के लिए किया जाता है. कई सालों से चीनी चिकित्सकों द्वारा इस पित्त का इस्तेमाल आंखों, जिगर और अन्य अंगों की बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है. भालू के पंजों को भी स्वादिष्ट भोजन के रूप में खाया जाता है. स्टीनमिट्ज का कहना है कि भालुओं के निवासस्थान यानी जंगलों को भी पेड़ काटने वालों से खतरा पहुंच रहा है.
गारशेलिस का कहना है कि थाईलैंड ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने जंगल काटने और शिकार करने के खिलाफ कड़े कानून अपनाए हैं ताकि सन बेअर की संख्या सामान्य बनी रहे. आईयूसीएन का कहना है कि भालुओं की आठ में से छह प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं.
आईयूसीएन के अनुसार जिन अन्य भालुओं की प्रजाति विलुप्ति के कगार पर हैं वे हैं एशियाई काला भालू, भारतीय उपमहाद्वीप का स्लथ भालू, दक्षिण अमेरिका का एंडियन भालू और पोलर भालू. भूरा भालू और अमेरिकी काले भालू को फिलहाल कम खतरा है. लेकिन जल्द ही ये भी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच सकते हैं.
अमेरिकी काले भालुओं की संख्या कनाडा, अमेरिका और मेक्सिको में मिलाकर 90,000 तक है जो कि भालुओं की सभी प्रजातियों की संख्या की तुलना में दोगुनी है. भूरा भालू भी अमेरिका और यूरोप में सुरक्षित है. लेकिन दक्षिण एशिया जैसे पाकिस्तान, भारत और नेपाल आदि में इन भालुओं की संख्या काफी कम है.
गारशेलिस के मुताबिक चीन के संरक्षण प्रयासों के बावजूद 3,000 से भी कम संख्या में बचे ‘जायंट पांडा’ की प्रजाति भी विलुप्ति की कगार पर है. ऑस्ट्रेलिया के कोआला भालु, जो भले ही भालू न होकर शिशु धानी प्राणी है, पर भी विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है.
1 टिप्पणी :
राजनेता अगर ऎसी ही संवेदनहीनता का परिचय देते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब दुनिया से आदमी ही खो जाएगा.
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