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गुरुवार, 22 नवंबर 2007

तापमान की मार महिलाओं पर ज्यादा

विकास एवं पर्यावरण समूहों द्वारा एशिया में तापमान परिवर्तन के प्रभावों पर कराए गए एक संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि तापमान परिवर्तन से पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक प्रभावित होंगी. अप इन स्मोक-एशिया एंड पैसीफिक नामक इस अध्ययन में कहा गया है कि एशिया में समुदाय एवं सामाजिक कार्यों में महिलाओं की भूमिका की अनदेखी की जाती रही है. महिला प्रधान परिवारों को तापमान परिवर्तन की चुनौतियों का अधिक सामना करना पड़ेगा.

अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी ‘एक्शनएड’ के रमन मेहता, जो इस अध्ययन में शामिल थे, ने एक उदाहरण देकर इसकी व्याख्या की है. उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए जब मैं इस साल बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बाढ़ राहत अभियान में शामिल था, मैंने देखा कि वहां प्रतिकूल हालात में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक शिकार हुईं.

मेहता ने कहा इसके कई कारण हैं. आर्थिक दबाव के तहत महिलाएं हर कार्य करती हैं. कभी-कभी उनके पतियों द्वारा उन पर यह आरोप लगा कर उन्हें छोड़ दिया जाता है कि वे परपुरुषगामी हैं. ऐसी चुनौतियों से वे अकेले ही लड़ती हैं. मेहता ने कहा कि तापमान परिवर्तन से बाढ़ एवं सूखा की समस्या तो पैदा होगी ही, साथ ही महिलाओं को खाना पकाने के लिए ईंधन का संग्रह करना कठिन हो जाएगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई महिलाओं, खासकर ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को अधिक मुश्किलों का सामना करना होगा. वे पहले से ही ईंधन, चारा एवं पानी की व्यवस्था करने के लिए लम्बी दूरी तय करती हैं. तापमान परिवर्तन से पर्यावरण और वन क्षेत्र को हुए नुकसान से महिलाओं पर भार बढ़ेगा.

1 टिप्पणी :

सुजाता ने कहा…

समस्या प्राकृतिक हो या मानव निर्मित , उसके दुष्परिणाम हमेशा समाज के कमज़ोर तबके ही झेलते हैं । इसमे मेहता ने नया क्या कहा है जी । यह तो समाजशास्त्र पहले ही साबित कर चुका । और महिलाएँ ही क्यों तापमान-परिवर्तन से गरीब , बेसहारा ,वृद्ध, बच्चे ,और अभावग्रस्त आदमी भी प्रभावित होगा

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