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रविवार, 18 नवंबर 2007

ओह! तो अब ताजमहल नहीं रहेगा.....

अभी ज्‍यादह दिन पुरानी बात नहीं है जब एक देशव्‍यापी पागलपन के चलते भारतवासियों ने एसएमएस और ई-मेल भेज भेज कर ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में सरे फेहरिस्‍त बनाया था. लेकिन उसके बाद क्‍या? किसी को चिंता है कि ताज महल के साथ अब क्‍या हो रहा है? किसी को चिंता है कि मोहब्‍बत की यह सबसे खूबसूरत यादगार एक ऐसे विनाश के कगार पर खड़ी है, जहां उसके अस्तित्‍व पर गंभीर संकट उठ खड़ा हुआ है? अब कहां है वह कंपनी जिसने करोड़ों हिंदुस्‍तानियों के एसएमएस से अरबों रुपए बनाए?

ताज महल के अस्तित्‍व पर मंडरा रहे खतरे को लेकर दैनिक जागरण में एक समाचार प्रकाशित हुआ है. इस समाचार के मुताबिक उत्तर भारत में गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी यमुना जिसके किनारे बने ताजमहल की खूबसूरती और बढ़ जाती थी, आज इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि न सिर्फ आगरा शहर बल्कि दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताज को भी इससे खतरा पैदा हो गया है. वास्तुविदों और संरक्षणविदों ने इस नदी की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए दावा किया है कि इससे ताज की नींव को नुकसान हो सकता है.

समाचार के मुताबिक मुगल वास्तुकला के जाने माने इतिहासकार प्रो. आर नाथ ने बताया कि यमुना सिमट कर एक नाला बन गई है. इसमें औद्योगिक अवशिष्ट से लेकर हर तरह की गंदगी बहाई जा रही है. इससे न केवल इंसानों के लिए खतरा पैदा हो गया है बल्कि ताजमहल को भी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि यदि यहां की मौलिक पारिस्थितिकी को बहाल नहीं किया गया, तो किसी दिन यह पूरा स्मारक जमीन में समा जाएगा या इसकी मीनारे खतरनाक रूप से झुक जाएंगी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एस. साहा का कहना है कि यमुना किसी भी लिहाज से नदी नहीं रह गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले सप्ताह ही तीन अलग अलग जगहों पर मरी हुई हजारों मछलियां नदी में पानी की सतह पर दिखाई दे रही थीं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को तैलीय परत और औद्योगिक व रासायनिक अवशेष नदी में मिले थे. ब्रजमंडल विरासत संरक्षण समिति के सुरेद्र शर्मा का कहना है कि यह ठीक है कि यमुना से हमारी धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई है लेकिन वर्तमान में इसकी हालत को देखते हुए इसे मौत की नदी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

पर्यानाद्: तो साहेबान तैयार हैं मोहब्‍बत के इस स्‍मारक को जमींदोज होते देखने के लिए? अपनी सांस्‍कृतिक और प्राकृतिक विरासत को इस तरह नष्‍ट करने का दुस्‍साहस दुनिया में शायद हम भारतीयों के अलावा और कोई नही कर सकता. क्‍या कहीं कोई है जो इसे रोक सके? आगरावासी सुन रहे हैं क्‍या?

2 टिप्‍पणियां :

Manoj Jain ने कहा…

hello boss, it is good that you are raising this issue or other issue in your portal. But let me tell you one thing, there are lacs of people who can raise the finger but do nothing. If you are finding "Koi hain" then you would not find it becuase "koi kahin nahin hain".

I did not find anything special in your blog except who only knows how to raise a finger but do nothing in the end.

Change the attitude of your style...

Hope i am clear to you.. I dont thing I would visit this site again.

Ravi yadav ने कहा…

एक जबरदस्त रचना ..बधाई ..यहाँ आप ताज के बारे में कुछ और जान सकते हैं.

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पर्यानाद् आपको कैसा लगा अवश्‍य बताएं. आपके सुझावों का स्‍वागत है. धन्‍यवाद्