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गुरुवार, 15 नवंबर 2007

क्‍या आप भी सीएफएल खरीदते हैं?

शायद ऐसा आप के साथ भी हुआ होगा कि बिजली का बल्ब खरीदते समय एक दिन आपको लगा कि बिजली की बचत के लिए सीएफएल खरीदना चाहिए. फिर आप खरीद लेते हैं, पर बहुत जल्दी आपको समझ आता है कि सामान्य बल्ब के मुकाबले सीएफएल खरीदने में शायद कुछ गलती हो गई. बिजली की बचत करने का ख्‍याल आने पर जेब से इतने पैसे ढीले करवा दिए और संतुष्टि भी नहीं मिली. यही नहीं सीएफएल खराब होने पर उसे फेंकने में भी आपको अंदेशा होने लगा कि कहां फेंकें.

यही हालत हर उस व्यक्ति की है, जो कम बिजली खपत के लिए सीएफएल बल्ब की ओर आकर्षित हुआ. दरअसल होता ये है कि वोल्टेज का उतार-चढ़ाव ये बल्ब सहन नहीं कर पाते और इस वजह से जल्दी-जल्दी फ्यूज हो जाते हैं. अब कमरे में उजाला करने के लिए ज्यादा पैसा तो दो ही, साथ ही ज्यादा समय तक नहीं चलने का नुकसान भी उठाओ. तिस पर भी इसके डिस्पोज़ल में परेशानी आती है. जो पढ़े लिखे और समझदार हैं वो जानते हें कि इस तरह के बल्ब को यूँ ही फेंकना कितना घातक हो सकता है.

क्या है इन बल्बों में: इसमें पर्यावरण में पारे का कचरा मिलने लगता है. प्रत्येक सीएफएल बल्ब में न्यूरोटॉक्सिक पदार्थ होता है. इसमें करीब 0.5 मिलीग्राम पारा होता है. यह पहले पर्यावरण में मिलता है, फिर पानी में और यह बेहद जहरीला रसायन बनाता है, जिसे मिथाइल मर्करी कहते हैं. यह मानव के लिए बेहद जहरीला है. धीरे-धीरे यह आपके भोजन में मिलने लगता है.

भारत का बिजली उद्योग हर साल करीब 56 टन पारे का इस्तेमाल करता है. यदि पूरी तरह से सीएफएल या ट्यूब की ओर आते हैं तो हो सकता है कि यह उपयोग और बढ़े. विशेषज्ञों का कहना है कि इसका विकल्प एलईडी हो सकता है, जिनका उपयोग ट्रैफिक सिग्नल में किया जाता है. ये सीएफएल की तुलना में अधिक प्रभावी, सुरक्षित और ज्यादा समय तक चलने वाले हैं. 6 वॉट का एलईडी बल्ब सीएफएल बल्ब की तुलना में 50 हजार घंटे ज्यादा चलता है. इन बल्बों में पारा नहीं होता.

क्या-क्या हो सकता है: जैसे ही ये भोजन के जरिये पेट में प्रवेश करता है, यह आदमी का नर्वस सिस्टम नष्ट कर सकता है. इसके अलावा किडनी और यकृत को भी नुकसान पहुँचा सकता है. स्मृति भ्रंश और जन्मजात रोग भी इससे हो सकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक करीब 8 प्रतिशत महिलाओं में इस तरह के रसायन पाए जाते हैं. चूँकि इनके डिस्पोज़ल की कोई व्यवस्था अभी तक देश में नहीं है, इसलिए ये कई लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है.

पर्यानाद्: सीएफएल के खतरे से सबसे पहले संपर्क में आते हैं, कचरा बीनने वाले वे गरीब बच्‍चे जिनकी जिंदगी इसी तरह गुजरती है. उनके लिए ना सही अपने जीवन की खातिर ही, उपभोक्‍ता वस्‍तुओं का सोच समझकर इस्‍तेमाल करें.

8 टिप्‍पणियां :

Sanjeet Tripathi ने कहा…

वाकई यह सब जानकारी नही थी!!
शुक्रिया इस अति उपयोगी जानकारी के लिए!

Nitin Bagla ने कहा…

बढिया जानकारी।

संजय बेंगाणी ने कहा…

जानकारी थी और भविष्य को रोशनकर्ता एल.ई.डी. ही है. जल्द ही ज्यादा रोशनी देने वाले एल.ई.डी.उपलब्ध होंगे.

बालकिशन ने कहा…

शुक्रिया इस अति उपयोगी जानकारी के लिए!

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया जानकारी दी है।धन्यवाद।

राजीव तनेजा ने कहा…

आम आदमी फैसला नहीं कर पाता है कि वो क्या करें और क्या ना करें

सरकार कहती है कि 'सीएफएल' खरीदो ...

विशेषज्ञ कह रहे हैँ कि नहीं खरीदो ...

आखिर हम जाएँ तो जाएँ कहाँ?...

खैर!..सुरुची पूर्ण जानकारी देने के लिए बहुत -बहुत बधाई

Unknown ने कहा…

सचमुच आपका चिठ्ठा पर्यावरण के संरक्षण के लिए उपयोगी काम कर रहा है...मुझे आपका चिठ्ठा बेहद पसंद आया, उम्मीद करती हूँ की आप इसी तरह लोगो को पर्यावरण के जागृत करते रहेंगे...

Shastri JC Philip ने कहा…

टार्च में एलईडी बहुत अच्छा परिणाम देता है. घर के उपयोग के लिये किसी कम्पनी ने एलईडी बल्ब बनान शुरू किया है क्या -- शास्त्री

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक खरीदें !
मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी
लेखकों को प्रोत्साहन देंगे ??

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