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गुरुवार, 22 नवंबर 2007

ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन रिकार्ड स्तर के करीब

विश्व के औद्योगिक व विकसित देशों में खतरनाक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है और यह रिकार्ड स्तर पर पहुंचने के करीब है. यह बढ़ोतरी कई विकसित देशों के क्योटो प्रोटोकाल पर हस्ताक्षर करने के बावजूद हो रही है. अखबार 'आस्ट्रेलियन' में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन रिकार्ड तोड़ने के करीब है.

यह रिपोर्ट ऐसे समय जारी हुई है जब इन गैसों के उत्सर्जन पर लगाम कसने के लिए दुनिया के 41 औद्योगिक व विकासशील देश क्योटो की जगह नई वैश्विक संधि पर चर्चा करने के लिए बैठक करने जा रहे हैं. मौसम में आ रहे बदलाव पर जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 1990-2000 के बीच में घटा, लेकिन यह 2000-2005 के बीच 2.6 प्रतिशत की दर से बढ़ गया.

यूएन कंवेंशन आन क्लाइमेट चेंज की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि क्याटो प्रोटोकाल पर हस्ताक्षर करने वाले औद्योगिक देशों ने 2012 तक इन गैसों के उत्सर्जन में पांच फीसदी की कमी लाने पर सहमति व्यक्त की है. ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में अमेरिका टाप पर है.

जलवायु परिवर्तन पर शीघ्र करनी होगी कार्रवाई: भारत एवं पूर्वी एशिया शिखर वार्ता (ईएएस) में भाग ले रहे अन्य नेताओं ने जलवायु के विपरीत प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इस मुद्दे पर तत्काल अकेले और सामूहिक कदम उठाने तथा ऊर्जा के नवीकरणयोग्य एवं वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग कर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया.

शिखर वार्ता में भाग ले रहे सोलह सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि वह वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को स्थिर रखने के साझा लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. शिखर वार्ता की समाप्ति पर जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और पर्यावरण पर सिंगापुर घोषणा जारी की गई. इस पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित आसियान के 10 सदस्य देशों और जापान, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया चीन व दक्षिण कोरिया के नेताओं के दस्तखत हैं.

सिंगापुर घोषणा में जलवायु बदलावों पर चल रही विश्वव्यापी बहस में भारत तथा अन्य देशों के योगदान की सराहना की गई है. नेताओं ने माना कि तेज विकास ने सतत विकास और गरीबी निवारण में योगदान दिया है लेकिन इसने अधिक ऊर्जा उपभोग की समस्या तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा चिंताओं से निपटने संबंधी नयी चुनौतियां पेश की हैं.

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